Wednesday, 18 April 2012

SELF CONFIDENT

         अपने आपको पतित समझना सबसे गिरी हुई बात हैजैसा हम  अपने बारे में सोचेंगे वैसा हम बनते जायंगे हमारे भीतर यह बात बहुत गहरे में बैठ गई है की हम कमजोर है , इसलिए हम सहारा खोजते रहते है हम सोचते है की किसी का सहारा मिल जाय तो शायद मै अपने जीवन में कुछ कर सकू आपने अपने भीतर उस शक्ति को विस्मित कर दिया जो जगत का निर्मार्ण कर सकती है आपने अपनी उर्जा को संकुचित कर लिया सारा ध्यान इस बात पर केन्द्रित कर दिया की कही से कुछ मिल जाय और मै बस उसका सहारा लेकर चल पडू अपनी जिमेदारी के दायरे को बहुत कम कर लिया जब  दूसरो की कहानिया के  बारे गर्व से पड़ते है पर कहानी बनाने की नहीं सोचते है .




                                                                                                                  त्रिलोक चन्द छाबरा